अनुसूचित जनजातीय आयोग को अपनी जाँच रिपोर्ट से उठा भरोसा, अध्यक्ष ने ग्राम सभा और दिलबंधु के जीवित होने की जांच शासन और कलेक्टर से कराने की बात कही*

*अनुसूचित जनजातीय आयोग को अपनी जाँच रिपोर्ट से उठा भरोसा, अध्यक्ष ने ग्राम सभा और दिलबंधु के जीवित होने की जांच शासन और कलेक्टर से कराने की बात कही*

* जबकि तात्कालिक सरगुजा कलेक्टर के द्वारा जाँच कर ग्राम सभा को सही होने की दी गई थी क्लीन चिट

* परसा कोल ब्लॉक के लिए जरूरी ग्राम सभा का आयोजन २०१७ में आयोजित की गई थी । जिसमें वर्तमान में जीवित दिलबंधु मझवार जिसकी उम्र २८ साल है ने अंगूठा लगाया है । और आज भी अंगूठा लगाता है।

* आयोग के अध्यक्ष द्वारा मुद्दे को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है। परसा कोल ब्लॉक के भूमि अधिग्रहण के लिए आयोजित की गईं ग्राम सभा २०१७ में ही की गई थी जिसमें कुल ४३२ लोग उपस्थित थे। वहीं वर्ष २०१४ में परसा कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत निगम को आवंटित ही नहीं हुई थी इसलिए वर्ष २०१४ की ग्राम सभा से कोईं लेना देना नहीं है। जिसमे मृत दिलबंधु ने हस्ताक्षर किए होंगे ।

* राजथान राज्य विद्युत निगम को परसा कोल ब्लॉक का आवंटन २०१५ में किया गया था जिसकी ग्राम सभा वर्ष २०१७ में आयोजित की गई थी जिसमें दिलबंधु मझवार ने भी अपना अंगूठा लगाकर परियोजना के लिए अपनी सहमति प्रदान की है।

* आयोग ने जो रिपोर्ट जारी की है वह बगैर सचिव के हस्ताक्षर के जारी की गई। जो की असंवैधानिक है।

* सचिवों ने कलेक्टर सरगुजा को १२/०९/२०२४ को एक आवेदन देकर यह गोहार लगाई है की उपस्थिति के नाम पर सचिवों को धमकाकर सचिवों का बयान बताकर मीडिया को तोड़ मरोड़कर एवं झूठे बयान देकर भ्रमित किया जा रहा है जबकि इनके द्वारा किसी बयान पर हस्ताक्षर कर कोई बयान जारी नहीं किया गया है लेकिन आयोग द्वारा स्वयं का बयान बनाकर सचिवों का बताया जा रहा है।

* वहीं आज जारी एक वीडियों में आयोग के अध्यक्ष द्वारा ग्राम सभा के संदर्भ में कुछ लोगो के शपथ पत्र दिखाए जा रहे हैं जो ग्राम सभा विरोधी एनजीओ के द्वारा अपने लोगो के ही द्वारा षड्यंत्र पूर्वक शपथ दिलवाकर पेश किया गया है ।

* आयोग के द्वारा यह बयान दिया जा रहा है कि रघुनाथ सिंह के द्वारा घाटबार्र के ग्राम सभा कीं अध्यक्षता किया गया है जिसमें ग्राम सभा के अध्यक्ष का हस्तक्षर नहीं है यह भी आरोप पूरी तरह से झूठा हैं चूँकि रघुनाथ सिंह ग्राम फ़तहपुर का निवासी है। जबकि घटबर्रा की ग्राम सभा की अध्यक्षता स्थानीय निवासी नवल सिंह के द्वारा किया गया है।

* आयोग कें द्वारा २०१४ में ग्राम सभा होने की बात कही गई है वह भी झूठा है। इस वर्ष भूमि अधिग्रहण के लिए कोई भी ग्राम सभा आयोजित नहीं की गईं थी । और जिस दिलबंधु के हस्ताक्षर की बात कही जा रही है उसने बिरोधी एनजीओ के समिति में हस्ताक्षर किए होंगे जिसकी मृत्युं २०१६ में हो चुकी है ।

* आयोग के अध्यक्ष द्वारा गांव में घूमकर कोटवार से हस्ताक्षर ग्राम सभा पंजी में किए जाने एवं कम उपस्थिति को कूटरचित तरीके से बढ़ाने की बात कही जा रही है यह भ्रमित करने वाली है। क्यूंकि ग्राम सभा में सभी के द्वारा उपस्थित होकर ही हस्ताक्षर किए गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *